—फुलगेन मगही

साँझ बिहान चाहें आई बिहान हर सबेर से लेके हरेक पल एकेगो काम माइके दाईके सेवा टहल । अभिके समयमे बहुत कम एहन प्रसङ्ग मिलै हय । बिशेष कके शहर बजार में त अपन श्रृंगार आउ रंग रुपके झारैत फुकैत अपनासे केकरो उबारे न हय एहनो देखल गेल हय ।

कते लोग त अपन माई बाबुके धन सम्पति ढेवा रुपैयाँ लेके बौहके कहलापर अपन जलम देलहा माई बाबुुके वृद्ध आश्रममे ले जाके छोरले कईगो लोग आँख देखाबे हय । तपर भी लोग ओना घर परिवारके दोख न दैत हय बिशेष कके अभिके जुगके दोष दैत हय । कल्युगके ! मगर आई एगो ग्रामीण क्षेत्र, ठेठ देहातके अइसन जिकिर करब की तु हु सब जे अपना माई बाबुके सेवासे वंचित कयले होब त सेवा करैला बाध्य हो जईब । आई बात करब धनुषा जिल्ला बटेश्वर गाउँपालिका वार्ड नम्बर –१ सोनापुरमे रहनीहार सुकनी देवी महतो आउ बुलन्ती देवी महतोके । हुनकर साउस पुतौह बीचके सेवा टहलके विषयमे ।

सुकनी देवी महतो कोइरिन अपन साउस अर्थात अपन माईके सेवा करैत आयल हथि । ओना दियादनीके हिसाबसे सुकनी देवी कोइरिन दु दियादनी हथी । एक सावित्री देवी कोइरिन आ दोसर अपने दियादीके हिसाब से भिन–भिनाज भेलापर दुनु दियादानी अलग अलग हय ।

सुकनी देबी कोईरीन अपन ससुुरा मे सबदिन अपना साउसके सबदिन माई कहिके सम्बोधन करैत आयल हथि । अपना टनमनाइल रहल त सबकुछ अपने करैत रहल आ लचार होगेलापर दोसरपर आश्रित होनाइ स्वाभावि के हय । उमेर हिसाबसे अभी सुकनी देवीके साउस अर्थात बुलन्ती देवीके देखलापर ८० टईप गेल हय । ओही अनुसार २०७४ साल वैशाख महिना में बुलन्ती देवी महतो कोइरिन टुनमुनायल रहथिन । सबदिन खेत एक फेरी साँझ आउ एक फेरी बेरियाके समय में अपन चासबास देखैला जेबे करैत रहथिन । एकदिन खुरपेरिया रास्ता धयले आरीके रास्ता से खेत ओरी चईल जाइत रहथिन ओहने में अचानक खेतके नजदीकमे पहुचहिबला रहलै की आरीसे गिर गेलै ताले मे बटोही देखलकै त घर पर खबर करौलकै, ताले में सुकनी देवी कोईरीन चीचयाईत माई–माई करैत कनैत दौरलै साउस गिरल ओर पहुुँचल । ओइ पहुँचलाके बाद हुनकर एक अलङ नै चल लगलै माने हवा लाईग गेलै । दबाइ– बिरो कतबो करौलाके बाद विछौना पकैर लेलकै । ओही दिनसे बुलन्ती देबी कोईरिनके खान पिनसे लेके हागनाई मूतनाई सब एके जगह करे लगलै । लर– ताँगर होके सब करम एके जगह करेला बाध्य होगेलै ।

अपन साउस अर्थात माईके सेवा टहल केना कके करै हय त ?
सुकनी देवी कोईरिन अपन सास के मतलब बुलन्ती देवी कोईरिन के हर सबेरे सुतला से उईठके नितदिन जे पैखाना, पेसाब, सरसफाई कके सुत बला जगहके चिकन चुनमुन करै हय । सया, बलाउज, साडी गन्दा रहलापर सबके साबुन पानीसे सरसफाइ करै हय । नहा धुवाके खानपिनके बन्दोबस्त सवेरे ९ः०० बजेतक कदेल जाय हय । ओकरबाद मातरे मालजालके लेल चौरी–चाँचर निकलैके रहल त निकलल । निरन्तर ७ बरिस से एके जगहके, एक जगह लर तांगर होके जीन्दगी बिता रहल साउसके भोरे से लेके साँझतक, तकतान करै हय । कतौ गेलापर सुकनी देवी कोईरीन अपन पुतौहके कहिके जाई हय कि तु सब माईके देखैत रहि हे से कहीके मात्रे कतौ जाई हय ।

साँझ पैरते कभी कवाल हाट बजारसे आब में कही देरी भेल तभिए बुलन्ती दाई अपन बेटा आउ पुतौहपर सुरता देले रहइ हय । साँझके समय मे कनीयो झोलफोल भेल त अपना पोता से फोन करबाके बात कयलापर ही सबुर, सन्तोष होई हय ।

बुलन्ती दाईके बोली आउ नजर
बुलन्ती दाइके नजर आउ बोली अभियो टनगरे हय । बोललापर आवाज एकदम फ्रेस हय । नजÞरके हिसावसे दाई अभियो अपना दुरापर बैठल रहल आउ डगहरपर कोनो भी लोग जाई हय से नजÞर पैर गेल त हला कलेल आउ अपना पजरामे बैठाके गाउँके हाल कुसल सब बुुझलक आउ ओकरो कुसल मंगल पुछ लेलक । नजÞर अभियो तेज हय ।

बुलन्ती दाईके मानसिक अवस्था
अभी हुनकर मानसिक अवस्थाके चित्रण कयलापर ठिक हय । ओहन गारी फेजत न करै हय, ह ई जरूर हय कि उमेरके कारण से हुनकर शारीरिक अवस्था ढनमना गेल हय । ओइ हिसाब से साँझके खाना खयलोके बाद भी रात में उईठके काने लगैय हय । कभी कवाल इहो कहै हय कि हमरा कोइ गोरा खायला पुछबे न कयलक । अदास्त में कुछ कमी आगेल हय ।

ई प्रसंग उठाबके कारण कि त ?
अभीके समय टेक्नोलोजी मे गेलासे सब घरके पुतौहसब लगभग व्यस्तताके जीन्दगी बिता रहल बातके हमरो कुछ अवगत हय । कुछ पुतौहसब अपन ढेनमा ढुनमीके स्कूल भेजलाके बाद अक्सर पुतौहसब मोबाइल ईया कम्प्युटर में भरोदिन समय बिता रहल देखल जायत हय । तही चलते कोई यदी अपन घरपर रहल नजÞर कमजोर, कान बहिर, लोथ साउसके सेवा टहलसे वंचित कयले ही त ओहन गलती न करब मोबाइलके साथे अपन घर पर रहल सास, ससुर, माई, बाबु इया कोनो बुुढ पुरान के भरपुर सेवा करबसे सोचके अपन बुलन्ती दाईके अपन घरके विषय वस्तु अपनेसबके सोझा परसलीय । अपने सबके घरमे रहल असली भगवानके दु÷चार गो बातो सुइनके अपनेसब सेवा टहल करब से आशा आउ विश्वास हब । ओही जाइनके ई प्रसंग सबके सामुने रखलीय ।

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